खट्टर सरकार ने किया किसानों के लिए कामों का खुलासा
सरकार द्वारा किए गए दावों और विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों के बीच जनता दोनों की स्थितियों को बेहतर समझती होगी.
24 जनवरी 2018
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जवाहर यादव
हरियाणा की मनोहरलाल खट्टर की सरकार ने विपक्ष को जवाब दिया है कि उनकी सरकार ने पिछली सरकारों की तुलना में किसानों के ज्यादा सकारात्मक काम किए हैं. आइये जानते हैं क्या सरकार ने किन कामों के दावे किए हैं-
किसान नहीं, इनेलो और कांग्रेस हैं परेशान
हरियाणा के विपक्षी राजनीतिक दलों में भाजपा की मनोहर सरकार द्वारा लगातार किसानों के हित में लिए जा रहे निर्णयों के कारण हताशा है, क्योंकि उनकी पोल खुलने लगी है। उन्होंने किसानो के हित में केवल नारे लगाए और मनोहर सरकार ने निर्णय लिये।
राज्य में पहली बार अलग-अलग जिलों के लगभग 20 हजार किसानों को बीते साल खेती करने का अवसर मिला है। करीब 50 हजार एकड़ ऐसी ज़मीन जिस पर कभी खेती लायक पानी उपलब्ध नहीं होता था, वहाँ पहली बार नहरी पानी से रबी की फ़सल की सिंचाई हो रही है। पश्चिमी और दक्षिणी हरियाणा के इस जमीन के मालिक परिवारों के लिए मौजूदा सरकार वरदान बनकर आई है और इन्हें पानी के भेदभाव भरे बंटवारे और राजनीतिक लॉलीपोप से छुटकारा मिला है।
हरियाणा की मनोहर सरकार ने गांवों से मंडियों तक की सड़कों के जाल को मजबूत किया है और अब तो राष्ट्रीय-राज्यीय राजमार्गों का काम भी इतनी तेज़ी से हो रहा है कि फसल पहुंचाने के लिए कोई मंडी दूर नहीं। राज्य के किसी भी कोने का किसान अधिकतम तीन घंटे में दिल्ली-एनसीआर की मंडियों तक पहुंच सकता है। प्रगतिशील किसानों, फल-सब्जी-फूल की खेती करने वालों, दुग्ध - मछली और मुर्ग़ी उत्पादकों के लिए ये सड़कें विकास के राजमार्ग बन रही हैं।
राज्य सरकार ने पहली बार किसानों को बाजरे का समर्थन मूल्य दिया है। लोगों के आम जीवन के खानपान वाले अनाज को अब तक सरकारों ने समर्थन मूल्य के प्रोत्साहन से क्यूं दूर रखा, ये समझ से परे है।
यही नहीं, भाजपा सरकार ने पिछली सरकारों के मुकाबले कम दाम पर यूरिया खाद उपलब्ध करवाई है। अब किसानों को नीम कोटिड यूरिया मिल रहा है जिससे उनकी उत्पादकता बढ़ रही है, ज़मीन की उर्वरा शक्ति में इज़ाफा हो रहा है। नीम कोटिड होने की वजह से यूरिया के गैरकानूनी औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक लगी है, जिससे कुछ राजनीतिक लोगों को तकलीफ हो रही है। हर खेत की मिट्टी की जाँच के कारण फ़सल की लागत मूल्य घटी है और पैदावार बढ़ी है ।
भाजपा की सरकार बनने के बाद से हरियाणा के किसानों को 2400 करोड़ रूपये का तो मुआवजा दिया जा चुका है। फसलों के खराब होने पर जहां पिछली सरकार 6000 रूपये प्रति एकड़ तक ही देती थी, खट्टरराज में ये दोगुना यानी 12000 रुपये तक मिल रही है। किसान परिवारों का भविष्य सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू कर दी गई है, जिससे अपनी फसल की कीमत तय करना, उसके लिए मुआवज़ा और प्रीमियम निर्धारित करना अब किसान के हाथ में आ गया है। यह किसी क्रांति से कम नहीं है।
कमाल की बात ये है कि विपक्षी दल फसल बीमा योजना के प्रीमियम को लेकर लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश करते हैं, जबकि सच ये है कि उनके राज में भी किसानों से फसल बीमा का प्रीमियम मौजूदा दरों से भी ज्यादा लिया जाता रहा। चौटाला सरकार ने इसे 2002 में कुछ जिलों में लागू किया और 2002, 2003 में किसानों से पूरा प्रीमियम लिया गया, जबकि चुनाव नजदीक आते ही 2004 में इसे स्थगित कर दिया। इसी तरह हुड्डा राज में भी किसानों से सिर्फ 2009 व 2014 के चुनावी वर्षों में प्रीमियम नहीं लिया गया और बाकी सालों में सीधे अकाउंट से ही प्रीमियम लिया गया। भाजपा सरकार की लागू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पिछली सभी योजनाओं से ज्यादा पारदर्शी है और किसानों के लिए हितकारी है जिसके कारण किसानो को आपदा में 25000/ एकड़ मुआवज़ा मिला है।