हरियाणा में जाट पिछड़ा आधार पर आरक्षण मिलने तक 10 फ़ीसदी सवर्ण आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे.
26 जनवरी 2019
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नया हरियाणा
लंबे समय से जाट हरियाणा में पिछड़े होने के आधार पर आरक्षण की मांग करते आ रहे हैं. पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस सरकार में जाटों को विशेष पिछड़ा वर्ग का कोटा सृजित कर आरक्षण प्रदान किया था. लेकिन बाद में यह आरक्षण पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से स्टे हो गया. हुड्डा सरकार बदलने के बाद हरियाणा में फरवरी 2016 में आरक्षण के लिए जाटों ने बड़ा आंदोलन भी किया था. भाजपा सरकार ने आंदोलन खत्म करने को लेकर हुए जाट आंदोलन के बाद मार्च 2016 में विधानसभा में हरियाणा पिछड़ा वर्ग सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में विधेयक 2016 सहित 6 जातियों को नौकरियों में एडमिशन में आरक्षण दे दिया था. विधानसभा में विधेयक पारित होने से नौकरियों में जाटों को मिले आरक्षण पर हुड्डा सरकार की अधिसूचना और हाईकोर्ट का फैसला रद्द हो गया. 2017 में ये आरक्षण भी कानूनी पचड़े में फंस कर रह गया.
अभी जाटों को हरियाणा में सरकारी नौकरी व दाखिलों में किसी प्रकार का आरक्षण नहीं है. जाट आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश है. ऐसे में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर हरियाणा पिछड़ा वर्ग की ओर से जाटों को आरक्षण देने या ना देने के मद्देनजर तैयार की जा रही रिपोर्ट पर भी रोक लग गई है. हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही तय होना है कि जाट आरक्षण पाने के लिए पात्र है या नहीं. जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट से स्टे हटने का इंतजार किया जा रहा है. तब तक जाटों को नौकरी और दाखिले में 10 फ़ीसदी सवर्ण आरक्षण का लाभ मिल सकता है. हरियाणा की मनोहर सरकार और जींद उपचुनाव के नतीजे के बाद सवर्ण आरक्षण लागू कर दिया जाएगा. सीएम के मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने कहा कि 31 जनवरी के बाद सीएम मनोहर लाल किसी भी समय कैबिनेट बैठक बुलाकर मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ चर्चा के भाषण आरक्षण प्रदान करने का फैसला सुना सकते हैं. हरियाणा में जाट पिछड़ा आधार पर आरक्षण मिलने तक 10 फ़ीसदी सवर्ण आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे. आर्थिक रूप से कमजोर जाटों को ही सवर्ण आरक्षण का फायदा मिलेगा. प्रदेश में लगभग 19% जाट हैं जो इस आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे.