जींद उपचुनाव में प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर की कुर्सी दांव पर
गुलाम नबी आजाद के सामने सबसे बड़ी चुनौती सभी विधायकों के खेमों को एक मंच पर लाना रहेगी.
24 जनवरी 2019
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नया हरियाणा
जींद उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी भी दांव पर लगी है. रणदीप सुरजेवाला अगर जींद उपचुनाव में जीतते हैं तो इसका सीधा फायदा सुरजेवाला और अशोक तंवर को मिल सकता है. लेकिन यदि सुरजेवाला जींद उपचुनाव हार जाते हैं तो एंटी तंवर खेमा उन्हें बदलवाने के लिए जोर लगाएगा.
हरियाणा शायद ही पहला ऐसा राज्य होगा जहां पिछले 5 साल से जिला व ब्लाक स्तर पर बिना सेनापति के कांग्रेस चल रही है. अशोक तंवर ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के कुछ समय बाद ही जिला व ब्लाक कार्यकारिणी को भंग कर दिया था. कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्यों की नियुक्ति भी नहीं हो पाई थी. हरियाणा में पार्टी प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर का अपना खेमा है. पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का अपना. रणदीप सुरजेवाला व सीएलपी लीडर किरण चौधरी के भी अपने-अपने खेमे हैं. कुमारी शैलजा, आदमपुर से विधायक कुलदीप बिश्नोई और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव भी अलग दूरी बनाए हुए हैं. लेकिन जींद उपचुनाव में फिलहाल सभी एक साथ दिखाई दे रहें हैं. यह एकजुटता महज रणदीप सुरजेवाला की जींद में जीत पर ही निर्भर करती है. अशोक तंवर तकरीबन 5 साल से पार्टी प्रदेशाध्यक्ष हैं और पार्टी के आधे से ज्यादा विधायक तंवर को बदलने की मांग पिछले 2 वर्षों से करते आ रहे हैं. भूपेंद्र हुड्डा ने तो पार्टी आलाकमान को तंवर के बदलने के लिए पत्र भी लिखा था.
उधर राहुल गांधी ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों को मद्देनजर रखते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद को हरियाणा का प्रभारी नियुक्त कर दिया है. आजाद के सामने सबसे बड़ी चुनौती सभी विधायकों के खेमों को एक मंच पर लाना रहेगी.