मकर संक्रांति मतलब के सकरांत । तीज कै बाद सकरांत हम हरियाणवियां का सबतै बड़ा त्योहार सै । आज काल तो फेर बी क्रिसमस वगैरा घणे ए त्योहार होगे । पर दस- पंद्रह साल पहले सकरांत का न्यारा ए चाव हो या करदा ।
रात न माँ तै कहके सोया करदे माँ चार बजे उठा दिये । चार बजे उठके सबतै राम राम करदे फेर सारी गळी म्हं दूर तक झाडू मारदे । गजब का उत्साह होया करदा ,हाण के बाळकां म्हं , रीसम रीस सारा बगड़ चमका दिया करते । फेर नहा कैं बाहरणे आग्गै आग जळा हाथ सेकदे आर हर आणिये -जाणिये ताहिं बाबा राम राम ,चाचा राम राम ,ताई राम राम करकैं आशीर्वाद लेंदे । खूब बातां के , हंसी मजाक के गुलगुले उतरदे । सूरज लिकड॒ण त पहले नहाणा जरूरी था ना तो माँ कहंदी जो सकरांत न नहीं नहावैगा वो अगले जन्म म्हं चमगादड़ बणैगा । उन दिनां खूब धुंध पड़या करदी । माँ या दादी बखते ए हलवा बणा दिया करदी । सब गरम हलवे का मजा लेंदे । कुनबे म्हं कोये बुआ आयी होती तो उसकी मौज हो जाया करदी । सब परिवार के त्योहार पै खूब गोज ढीली छोड़ दिया करते ।
फेर काम निपटा के चाची ताई माँ कट्ठी होकैं कपड़े रपिये ,घेवर लाड्डू परांत म्हं धर कैं गीत गांदी चाल्या करदी । जेठ - देवर ,सास- ससुर न ब्योंत हो उसा देया करदी और आशीर्वाद लेंदी । बड़े बूढ़े भोत राजी होंदे के बोहड़िया मनाण आवैगी तो घर तै दूर कोये नोहरे ,कोये खेत म्हं चादर ताण सो जाया करदे । गजब की उमंग आर चाव होया करदा त्योहार म्हं ।
जिस घर म्हं नई बहू आवै ,उसकै तो पीहर तै सबकी सकरांत आया करै । आज बी लोकगीत गाकैं पूरे कुनबे न सकरांत पहरायी जा सै । ज्यातर घरां म्हं गाजरपाक ,मालपूड़े आज बी तारे जां सैं ।
पर ,टेम कै साथ दिखावा बढ़ गया । पतंगबाजी और लाल पीळे घेवर चाल पड़े । नहीं तो सकंरात रूस्यां न मनाण का और दान पुण्य करण का त्योहार था । परिवार की बहू सास, ससुर , देवर ,ननद न सबकुछ मान्या करदी । ईब तो कोये गऊ पेड़ा बणावै सै ,कोये सात जात की धर्म भाण बणावै सै ,कोये सौ ढाळ की चीज दान म्हं देवै सै , कोये ग्यारह हजार चावल दान करै सै ,कोये भंडारा लगावै सै ,पर परिवार म्हं वा बड़ां की कद्र इतणी नहीं रह्यी । सारे त्योहार फेसबुक म्हं फोटो दिखा दिखा मन जावैं सैं । ना त्योहारां की रौनक रही,ना आपसी मेल मिलाप । बेरा न म्हारी आगली पीढ़ी के खाया करैगी,आर के त्योहार मनाया करैगी ????