जानिए राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए जाट, सिख जाट और राजपूतों का चुनाव क्यों?
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए मांगा है जवाब।
15 जनवरी 2019
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नया हरियाणा
राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए गठित प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड में केवल जाट, जाट सिख और राजपूत जाति के आवेदकों को ही नियुक्ति क्यों दी जाती है. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने इस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार से इस पर जवाब तलब कर लिया है.
गुरुग्राम निवासी मनीष ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि हमीरपुर आर्मी रिक्रूटमेंट ऑफिस के निदेशक ने 12 अगस्त, 2017 में एक विज्ञापन जारी किया था. जिस विज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड पद हेतु आवेदन मांगे गए थे. अन्य योग्यताओं के साथ इस नियुक्ति में यह शर्त भी रखी गई थी कि नियुक्ति में सिर्फ जाट, जाट सिख और राजपूत जाति के आवेदक ही शामिल हो सकते हैं.
याची ने कहा कि देश में इस प्रकार किसी भर्ती को किसी जाति विशेष के लिए आरक्षित नहीं किया जा सकता और यह सीधे तौर पर संवैधानिक अधिकारों का हनन है. इस तरह से नियुक्ति में किसी खास जाति के आवेदकों को वरीयता देना संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के खिलाफ है. क्योंकि देश के सभी नागरिकों को समान अवसर दिए जाने का संविधान में प्रावधान है. 2016 में रक्षा मंत्रालय ने आरटीआई में बताया था कि सेना में जाति के आधार पर नियुक्ति नहीं दी जाती है. एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड के बारे में जानकारी मांगी तो भी यह बताया गया कि सेना की कोई भी यूनिट जाति, धर्म और वर्ग के आधार पर नहीं होती है.
याचिकाकर्ता ने कहा जब ऐसा है तो कैसे इन 3 जातियों के लिए इस भर्ती को रिजर्व कर दिया गया है. इससे अन्य जातियों के लोगों से उनके रोजगार के अवसर को छीना जा रहा है. सोमवार को केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन ने हाईकोर्ट को बताया कि उन्हें इस विज्ञापन के बारे में जानकारी मिली है. उन्हें कुछ समय दिया जाए ताकि वह हाईकोर्ट में केंद्र का पक्ष रख सके. हाई कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार को 29 अप्रैल के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.