जींद उपचुनाव सरकार के लिए गले की फांस बनता जा रहा है। सूत्रों के प्राप्त जानकारी के अनुसार अगले 15 दिन तक जींद का चुनावी रण आंदोलनकारियों के लिए महाभारत का कुरुक्षेत्र भी साबित हो सकता है। जिसका आगाज कल हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की भर्तियों के पीड़ितों द्वारा जिला उपायुक्त एवम को प्रदर्शन कर दिए जाने वाले ज्ञापन से हो सकता है। इसके साथ-साथ पिछले 13 सालों से सरकारों के कोरे आश्वासनों और उपेक्षा के शिकार अतिथि अध्यापक भी जींद में एक बार फिर नए सिरे से आंदोलन का बिगुल बजा सकते हैं।
अगर ऐसा होता है तो 14000 अतिथि अध्यापकों को संभालना सरकार एवम भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व के लिए एक कठिन परीक्षा साबित होगी। आंदोलनकारियों ने सरकार ने बड़े नाजुक समय को अपनी आवाज उठाने के लिए चुना है। कर्मचारियों की यह रणनीति सरकार के हाथ से आगामी सत्ता की चाबी रूपी जींद की सीट को छीनने का काम कर सकती है।