कल शाम को एक वीडियो ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी। जिसमें दो नेता आपस में एक-दूसरे के कांटे निकलने की बात कर रहे थे। जी हां, यह वीडियो रामबिलास शर्मा और पूर्व सीएम हुड्डा के ठहाकों से भरा हुआ वीडियो ही था। जिसमें दो विपक्षी दलों के दिग्गज नेता गले मिल कर खूब हंसी ठिठौली कर रहे हैं। इस हंसी ठहाके के बीच ये नेता एक दूसरे के कांटों के बारे में भी खुल कर जिक्र कर रहे हैं। कार्यकर्ता भले ही राजनीति में विपक्षी के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार करते हो, परंतु नेता इस मामले में काफी लिबरल होते हैं और मिलनसार भी होते हैं।
जींद उपचुनाव पर रहेगा इसका असर
हल्का-फुल्का दिखने वाला यह वीडियो जींद उपचुनाव में काफी असरदार रहने वाला है। यह उस नैरेटिव को आगे बढ़ाता चला जाएगा। जिसके अनुसार रणदीप सुरजेवाला को आगे करके हरियाणा के दूसरे कांग्रेसियों ने अपना कांटा निकाला है। जिसे शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा ने मूर्त रूप दे दिया। नेरेटिव की खासियत होती है कि जब तक वह अमूर्त रूप में होते हैं तब तक केवल बौद्धिक चर्चाओं के माध्यम से अपना विस्तार करते हैं। यह एक लंबी प्रक्रिया है। परंतु पॉपुलर विमर्श में जब यही नैरेटिव मूर्त रूप में आता है तो पहले की तुलना में ज्यादा असरदार और घातक सिद्ध होता है। पारंपरिक मीडिया के दौर में इसे मैनेज करना आसान होता था परंतु सोशल मीडिया के दौर में यह पहले की तुलना में ज्यादा जल्दी से फैलता है। इस मामले में भी यही हुआ।
राजनीति में ऐसी तस्वीरें मनोरंजन के रूप में फैलती हैं, परंतु अपने डिसकोर्स को मुकाम तक पहुंचा देती हैं। जिसे वर्तमान समय के राजनीतिक विश्लेषक समझ नहीं पाते और न ही विश्लेषित करते हैं। हुआ यूं कि राम बिलास शर्मा ने जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कहा, ''आपका कांटा निकल गया''... शिक्षा मंत्री का डायलॉग बोलना था कि हुड्डा समर्थकों में ठहाका गूंज गया। हरियाणवी लहजे में कहें तो इस बात पर नेताओं ने जोरदार किल्ली मारी। इन किलकारियों ने रामबिलास शर्मा की बात पर पक्की मोहर लगा दी। ये बात सुनते ही मानों पूर्व सीएम हुड्डा का दिल भी गार्डन-गार्डन हो गया। उनके चेहरे से हंसी के फंवारे फूंटने लगे। आखिर मजाक मजाक में शिक्षा मंत्री ने उनके दिल की बात जो कह दी। यह बात जगजाहिर है कि पिछले दिनों में हुड्डा की हाईकमान में पकड़ ढीली हुई है और रणदीप सुरजेवाला की पकड़ पार्टी में आज हरियाणा के दूसरे नेताओं से ज्यादा है।
कहा यह भी जा रहा है कि नगर निगम चुनाव में बाकी सभी नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था, बस अकेले रणदीप बचे थे, जिन्हें अब जींद उपचुनाव में आगे करके बदला लिया जा रहा है। राजनीति में नैरेटिव ऐसे ही बनते-बिगड़ते रहते हैं और पब्लिक में जब इन बातों पर डिसकोर्स होता है तो उसमें मनोरंजन की महीन परत छिपी होती है। जिसके कारण आमजन की राजनीति में दिलचस्पी बढ़ी है। जिसे हरयाणवी में राजनीति के चासड़ू कहा जाता है। चुनाव के समय इन डिसकोर्स में कुछ ऐजेंडे मिल जाने से चुनाव कंपेन चौक-चौराहों से आगे घर के आंगनों में परवेश कर जाता है। जातिगत समीकरणों वाले खेल नेताओं के ऑफिसों से निकलकर आम चर्चाओं के बहसों का हिस्सा बन जात हैं। जिसके कारण चुनाव में विकास के मुद्दे और हलके के कामकाज से आगे निकलकर (सही मायनों पिछड़कर) जातिगत आधार को ठोस रूप में बदल देते हैं।
रामबिलास शर्मा के नैरेटिव में पूर्व सीएम ने भी दूसरे नैरेटिव को परपोज कर दिया। पूर्व सीएम ने शिक्षा मंत्री को कहा, '' बात सुन पंडित जी, मैं तेरा कांटा तब निकला मानूंगा जब खट्टर की छुट्टी कर दे''. पूर्व सीएम की तरफ से ये बात कहते ही ठहाकों की आवाज गूंज उठी। वहीं जाते जाते राम बिलास शर्मा ने कुमारी सैलजा को भी बातों ही बातों में जोड़ा और कहा, ''सैलजा आपका और हुड्डा जी का कांटा निकल गया''। इस पूरे खेल में साथ खड़े कुलदीप बिश्नोई राजनीतिक छिंटाकसी के रंगों की होली में साफ बच गए।