दुष्यंत चौटाला ने साथ जाकर दिग्विजय चौटाला का फार्म भरवाया है।
10 जनवरी 2019
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नया हरियाणा
इंडियन नेशनल लोकदल से निष्काषित किए जाने के बाद अजय चौटाला ने अपने दोनों बेटों दुष्यंत और दिग्विजय के साथ मिलकर जननायक जनता पार्टी बनाई थी। नई पार्टी का ये पहला चुनाव है। दिग्विजय चौटाला भी पहली बार कोई चुनाव लड़ रहे हैं, वे पार्टी की युवा इकाई और इंडियन नेशनल स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (इनसो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर रहे हैं। जींद में दिग्विजय चौटाला बड़ा चेहरा हैं। जींद के युवाओं और गांवों में उनकी पार्टी और उनके खुद के चेहरे को भारी मात्रा में समर्थन मिल रहा है।
एक तरफ जहां रणदीप सुरजेवाला को गांव और शहर दोनों से वोट मिलने की संभावना है, वहीं रणदीप सुरजेवाला का शहर में बीजेपी से मुकाबला है तो गांव में उसका मुकाबला इनेलो और जेजेपी दोनों से है। जिनसे पार पाना आसान बिल्कुल नहीं है, क्योंकि दोनों ही पार्टी कार्यकर्ता आधारित पार्टी हैं और ग्रास रूट लेवल पर इनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। कांग्रेस के बाकी गुट अंदरूनी तौर पर क्या खेल करते हैं, इस पर भी रणदीप सुरजेवाला का पूरा चुनाव टिका हुआ है। जेजेपी और दिग्विजय चौटाला दोनों का यह पहला चुनाव है और खोने जैसा कुछ है नहीं बाकी पाने को पूरा आसामान खाली पड़ा है। युवाओं और सोशल मीडिया के फोलोवरों के बलबूते जमीनी स्तर पर इन्हें वोटों में कितना बदल पाते हैं। यही परीक्षा की घड़ी है।
जेजेपी और दिग्विजय चौटाला दोनों का है पहला चुनाव। जाहिर है दोनों जीत से शुरूआत करना चाहेंगे, ताकि आगे की राजनीतिक राह आसान हो और भविष्य की दशा और दिशा दोनों के लिए मार्ग प्रशस्त हो। इसके लिए पूरा संगठन और नेता एकजुट होकर पूरी मेहनत करते हुए साफ दिख रहे हैं। भले ही राजनीतिक गलियारों में इनकी तुलना भजनलाल की पार्टी की जा रही हो और उनके जैसे हश्र की ही बात की जा रही है। जेजेपी हजकां बनकर रह जाएगी या इन सभी विचारों से आगे निकलकर खुद को साबित कर पाएगी।