जिले के गांव सींक का संयुक्त पंजाब और इसके बाद हरियाणा की राजनीति में एक विशेष स्थान रहा है। हरियाणा में चौटाला गांव के बाद इस गांव को अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र से सर्वाधिक पांच विधायक और मंत्री देने का गौरव हासिल हैं।यही वजह है कि हरियाणा की राजनीति में सींक का नाम काफी सम्मान के साथ लिया जाता है। सींक की प्रसन्नी देवी के खाते में नौल्था, राजौंद व इंद्री से अलग-अलग सरकारों में छह बार प्रतिनिधित्व करने का रिकॉर्ड दर्ज है।
प्रसन्नी देवी इंद्री विधानसभा सीट से तीन बार विधायक बनी।
Year |
A.C No. |
AC. Name |
Type of A.C. |
Winner |
Sex |
Party |
Votes |
Runner-UP |
Sex |
Party |
Votes |
1967 |
14 |
Indri |
GEN |
P. Devi |
F |
INC |
17056 |
T. Ram |
M |
BJS |
5885 |
1968 |
14 |
Indri |
GEN |
Prasanni Devi |
F |
INC |
10846 |
Des Raj |
M |
IND |
8060 |
1972 |
14 |
Indri |
GEN |
Parsani Devi |
F |
INC |
22174 |
Des Raj |
M |
NCO |
20982 |
हरियाणा की विधानसभा में कभी भी महिलाओं की धमक बहुत ज्यादा नहीं रही है। साल 1967 से लेकर 2009 के बीच हुए 11 विधानसभा चुनावों में केवल 65 महिलाएं ही विधानसभा तक पहुंचने में कामयाब हो पाई हैं। यहां के गुड़गांव और मेवात जिले से आज तक कोई महिला विधानसभा में नहीं पहुंच सकी।
प्रसन्नी देवी का 2015 में हुआ था निधन
पूर्व मंत्री प्रसन्नी देवी (85) का सन 2015 में दिल्ली के अपोलो अस्पताल में बीमारी के चलते अचानक निधन हो गया था।
हरियाणा विधानसभा में महिलाओं की दस्तक
हरियाणा राज्य का गठन के बाद 1967 में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में 8 महिलाएं चुनावी समर में थीं और इनमें से 4 को जनता ने चुन लिया। पहली विधानसभा में विधायक बनने वालों में नग्गल से लेखवती, इंद्री से प्रसन्नी देवी, कैथल से ओम प्रभा और रेवाड़ी की सुमित्रा देवी शामिल हैं।
1968 में महिलाओं की दस्तक
1968 में हुए विधानसभा चुनाव में 12 महिलाओं ने अपनी किस्मत आजमाई और इनमें से 7 महिलाएं कामयाब रहीं। इस चुनाव में अंबाला से लेखवती जैन, इंद्री से प्रसन्नी देवी, कैथल से ओमप्रभा, साल्हावास से शकुंतला, बल्लभगढ़ से शारदा रानी, रेवाड़ी से सुमित्रा देवी और लोहारू से चंद्रावती को विधायक बनने का मौका मिला।
1972 में महिलाओं की दस्तक
1972 के विधानसभा चुनाव में 13 महिलाओं ने चुनाव लड़ा। इंद्री से प्रसन्नी देवी ने फिर विधायक बनकर हैट्रिक बना ली। इसके अलावा बल्लभगढ़ से सरयू रानी, बाढड़ा से लज्जा रानी और लोहारू से चंद्रावती ने जीत हासिल की।
1977 में महिलाओं की दस्तक
1977 के विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा और 20 महिला प्रत्याशियों में से केवल 4 को ही सफलता मिल पाई। इनमें यमुनानगर से कमला देवी, अंबाला कैंट से सुषमा स्वराज, कैलाना से शांति देवी और बावल से शकुंतला जीतकर आईं।
1982 में महिलाओं की दस्तक
1982 में 27 महिलाएं मैदान में थीं और इनमें से 7 को ही सफलता मिली जिनमें करनाल से शांति देवी, नोल्था से प्रसन्नी देवी, हसनगढ से भानती देवी, कलानौर से करतारी देवी, बल्लभगढ़ से शारदा रानी, बाढड़ा से चंद्रावती और बावल से शकुंतला शामिल थी।
1987 में महिलाओं की दस्तक
साल 1987 में विधानसभा में पहुंचने के लिए 35 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, पर 5 ही विधानसभा की चौखट तक पहुंच पाई। इनमें यमुनानगर से कमला वर्मा, अंबाला कैंट से सुषमा स्वराज, झज्जर मेधावी, आदमपुर से जसमा देवी और दड़बाकला से विद्या बेनीवाल शामिल हैं।
1991 में महिलाओं की दस्तक
साल 1991 के चुनाव में 41 महिलाओं ने किस्मत आजमाई और 6 को ही जीत मिल पाई। इनमें इंद्री से जानकी देवी, कलानौर से करता देवी, कैलाना से शांति देवी, लौहारू से चंद्रावती, डबवाली से संतोष चौहान और बावल से शकुंतला हैं।
1996 में महिलाओं की दस्तक
साल 1996 में विधानसभा में पहुंचने के लिए रिकॉर्ड 93 महिलाओं ने चुनाव लड़ा पर जीत सिर्फ 4 की हुई। यमुनानगर की प्रसन्नी देवी, कलानौर से करतार देवी, रोहट से कृष्णा गहलावत और दड़बाकलां से विद्या देवी एमएलए चुनी गईं।
2000 में महिलाओं की दस्तक
साल 2000 के चुनाव में 49 महिलाओं में से 4 ही जीत पाई। इनमें अंबाला शहर की वीणा, कलानौर से सरिता, साल्हावास से अनीता यादव और दड़बा कलां से विद्या देवी शामिल हैं।
2005 में महिलाओं की दस्तक
2005 के विधानसभा चुनाव में 60 महिलाओं ने चुनाव लड़ा और पहली बार महिलाओं ने दहाई का आंकड़ा पार करते हुए विधानसभा में अपनी अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई। इस चुनाव में यमुनानगर से कृष्णा पंडित, करनाल से सुमिता सिंह, जुंडला से मीनारानी, घरोंडा से रेखा राणा, असंध से राजरानी पूनम, नौल्था से प्रसन्नी वी, कलानौर से करतार देवी, साल्हावास से अनीता यादव, कलायत से गीता भुक्कल, बल्लभगढ़ से शारदा राठौर और शकुंतला भगवाडिया ने चुनाव जीता।
2009 में महिलाओं की दस्तक
2009 के विधानसभा चुनाव में 68 महिलाओं में से 9 जीतीं जिसमें करनाल से सुमिता सिंह, सोनीपत से कविता जैन, नारनौंद से सरोज, हिसार से सावित्री जिंदल, कलानौर से शकुंतला, अटेली से अनीता यादव, तोशाम से किरण चौधरी, झज्जर से गीता भुक्कल तथा बल्ल्भगढ़ से शारदा राठौर का नाम शामिल है।
हरियाणा विधानसभा (2014) में महिलाओं की दस्तक
2014 के विधानसभा चुनाव में इनेलो पार्टी की तरफ से एकमात्र महिला विधायक जीत कर विधानसभा पहुंची। इनका नाम नैना चौटाला हैं। डबवाली विधानसभा से नैना चौटाला ने जीत दर्ज की। नैना चौटाला देवीलाल परिवार से चुनी जाने वाली पहली महिला विधायक हैं और ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला की पत्नी हैं। वर्तमान समय में इन्होंने इनेलो से अलग होकर जननाय़क जनता पार्टी का गठन किया है। जिसे इनके बड़े हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला और छोटे बेटे इनसो के अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला आगे बढ़ा रहे हैं।
कांग्रेस की तरफ से गीता भुक्कल ने झज्जर विधानसभा से जीत दर्ज की। उन्होंने 2005 में कलायत व 2009 में झज्जर से जीत दर्ज की थी। कांग्रेस की ही किरण चौधरी ने तोशाम विधानसभा सीट से जीत दर्ज की हैं। 2005 के उपचुनाव और 2009 में तोशाम से जीत दर्ज की थी। वह दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं। कलानौर से शकुंतला खटक ने जीत दर्ज की हैं। उन्होंने 2009 में कलानौर सीट से भी जीत दर्ज की थी। हांसी विधानसभा सीट से रेणुका बिश्नोई ने जीत दर्ज की थी। हालांकि जिस समय उन्होंने जीत दर्ज की थी। उस समय वह अपनी अलग पार्टी हजकां से चुनाव जीती थी। जिसका बाद में कांग्रेस पार्टी में विलय हो गया था। रेणुका बिश्नोई ने 2011 के उपचुनाव में आदमपुर विधानसभा सीट से भी जीत दर्ज की थी।
सोनीपत विधानसभा सीट से कविता जैन ने भाजपा की तरफ से जीत दर्ज की। वह 2009 में भी सोनीपत विधानसभा से विधायक थी। उचाना विधानसभा से भाजपा की प्रेमलता ने जीत दर्ज की। वह चौधरी बिरेंदर सिंह की पत्नी हैं। कालका विधानसभा सीट से लतिका शर्मा ने पहली बार जीत दर्ज की। पानीपत शहर से रोहिता रेवड़ी ने पहली बार जीत दर्ज की। मुलाना विधानसभा सीट से सन्तोष सारवान ने जीत दर्ज की। उन्होंने 1991 में डबवाली विधानसभा सीट से भी जीत दर्ज की थी। अटेली से संतोष यादव ने पहली बार जीत दर्ज की। बड़खल विधानसभा सीट से सीमा त्रिखा ने पहली बार जीत दर्ज की और विधायक बनी। पटौदी विधानसभा सीट से बिमला चौधरी ने पहली बार विधायक बनी। यह मौजूदा विधान सभा में एकमात्र अशिक्षित विधायक हैं।