जींद उपचुनाव से जननायक जनता पार्टी से हो सकते हैं ये प्रत्याशी
जींद उपचुनाव में पल-पल नेता पाले बदल रहे हैं.
3 जनवरी 2019
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नया हरियाणा
जींद उपचुनाव में पल-पल नेता पाले बदल रहे हैं. पाला बदलते ही सभी पार्टियों के समीकरण बदल जा रहे हैं. इसीकारण जींद उपचुनाव में राजनीतिक ड्रामा हाईवोल्टेज होता जा रहा है. नेताओं और पार्टियों के दिल की धड़कने बढ़ती-घटती जा रही हैं, वैसे-वैसे पार्टी वर्करों के जीत-हार के दांव भी बन-बिगड़ रहे हैं।
सुबह खबर आई कि कांग्रेस जेपी के लड़के को टिकट दे सकती है. वैसे ही इनेलो और जेजेपी पर दबाव बढ़ गया, क्योंकि जेपी ताऊ देवीलाल स्कूल से निकले ग्रीन बिग्रेड का हिस्सा रहे हैं और उनकी राजनीति की शैली भी वही है. कार्यकर्ता ही उनकी राजनीति की असल जान है.
दोपहर में खबर आई कि कई पार्टियों को खंगालते हुए मांगेराम गुप्ता बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. ऐसी खबरे आने लगी. जिनके बेटे महाबीर गुप्ता को जेजेपी का प्रत्याशी माना जा रहा था. सुनने में आ रहा है कि पंचकूला के विधायक ज्ञानचंद गुप्ता ने उन्हें बीजेपी में शामिल करने का गुणा-गणित बैठाया है. ऐसे में जेजेपी यह कह सकती है कि उसने सर्वे करवाया था मांगेराम गुप्ता का जनाधार नहीं था. इसीलिए हमने टिकट नहीं देने का विचार किया था. इसीलिए उन्होंने बीजेपी में जाना तय किया.
कांग्रेस से जेपी के बेटे विकास को टिकट मिलती है तो जाहिर सी बात है कि इनेलो और जेजेपी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. ऐसे में इनेलो किसे टिकट देगी, यह कहना मुश्किल लग रहा है. दूसरी तरफ बताया जा रहा है कि ऐसे फंसे हुए चुनाव में जेजेपी अपनी साख साबित करने के लिए बड़ा दांव खेल सकती है. बड़े दांव के रूप में वो इनसो अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला को चुनाव लड़वा सकती है.
दिग्विजय चौटाला का चुनाव मैदान में उतारना जेजेपी के लिए सफलता का सूत्र साबित होगा या आत्मघाती साबित होगा, यह कहना अभी मुश्किल है. क्योंकि ये फैसला जनता के हाथ में है. लोकतंत्र में जनता ही अभय और अंतिम सत्य है. बाकी सत्य मन के भ्रम मात्र हैं. दूसरी तरफ जींद उपचुनाव में युवा सांसद दुष्यंत चौटाला की लोकप्रियता का भी पता लग जाएगा और अभय की पार्टी पर कितनी पकड़ है इसकी भी जांच पड़ताल हो जाएगी. प्रत्याशियों की घोषणाों में दुष्यंत चौटाला व अभय चौटाला के विवेक का आकलन भी हो जाएगा. आखिर ताऊ देवीलाल की दो पीढ़ियों की राजनीतिक समझ को 2019 के चुनाव बखूबी उजागर कर देंगे.
ओमप्रकाश चौटाला के लिए भी जींद उपचुनाव मंथन और विचार-विमर्श करने का एक सुनहरा मौका देने वाला साबित होगा। बीजेपी का राजनीतिक भविष्य भी इन उपचुनावों से तय हो जाएगा.