मनोहर श्याम जोशी ने दिया अटल बिहारी वाजपेयी के ख़त का 'करारा' ज़वाब
अटल बिहारी बाजपेयी ने वर्ष 1977 में एक कविता साप्ताहिक हिंदुस्तान में छपने को भेजी जो किसी कारणवश नहीं छप सकी। उन्होंने तत्कालीन सम्पादक मनोहर श्याम जोशी को एक रोचक पत्र लिखा
28 दिसंबर 2017
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डॉ. नवीन रमण
मनोहर श्याम जोशी हमारे वक्त की एक ऐसी साहित्यिक शख़्सियत हैं, जिनकी प्रतिभा का विस्तार विभिन्न विधाओं और क्षेत्रों में हैं. भारतीय टेलीविजन में सोप ऑपेरा के जनक मनोहर श्याम जोशी हम लोग और बुनियाद जैसे सीरियलों के लिए जाने जाते हैं. इसके अलावा हिंदी उपन्यासों में अपने कथानक और शैली के लिए कुख्यात वो अपने ढंग के उपन्यासकार भी हैं.
अगर सभी विशेषणों को एक साथ लगाते हुए उनका परिचय दिया जाए तो वो इस प्रकार होगा कि आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध गद्यकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, पत्रकार, दूरदर्शन धारावाहिक लेखक, जनवादी-विचारक, फ़िल्म पट-कथा लेखक, उच्च कोटि के संपादक, कुशल प्रवक्ता तथा स्तंभ-लेखक एवं दूरदर्शन के प्रसिद्ध और लोकप्रिय धारावाहिकों- 'बुनियाद', 'नेताजी कहिन', 'मुंगेरी लाल के हसीं सपने', 'हम लोग' आदि के कारण वे भारत के घर-घर में प्रसिद्ध हुए. उन्होंने धारावाहिक और फ़िल्म लेखन से संबंधित 'पटकथा-लेखन' नामक पुस्तक की रचना की है. 'दिनमान' और 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान' के भी वे संपादक रहे.
उनका यह किस्सा साप्ताहिक हिंदुस्तान से जुड़ा हुआ ही है. भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने वर्ष 1977 में एक कविता साप्ताहिक हिंदुस्तान में छपने को भेजी जो किसी कारणवश नहीं छप सकी। उन्होंने तत्कालीन सम्पादक मनोहर श्याम जोशी को एक रोचक पत्र लिखा और उसका उत्तर भी उतना ही रोचक था। पढ़िए वो पत्र और उसका जवाब-