जींद का उपचुनाव बना इनेलो और जेजेपी के लिए जिद्द का चुनाव
दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि जननायक जनता पार्टी का यह पहला चुनाव होगा हम पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे भी और जीतेंगे भी
1 जनवरी 2019
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नया हरियाणा
इनेलो और अभय चौटाला के लिए जींद का उपचुनाव प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया है. अभय की प्रतिष्ठा इसीलिए भी दांव पर लगी है क्योंकि यह सीट इनेलो विधायक डॉ मिड्ढा के निधन से खाली हुई है. ऐसे में अगर खुद की ही सीट को इनेलो दोबारा से हासिल नहीं कर सकती तो इसका नकारात्मक संदेश जाना है. साथ ही इनेलो से अलग होकर जननायक जनता पार्टी बनाने वाले हिसार के सांसद दुष्यंत चौटाला के हौसले भी इनेलो की इस हार से बुलंद होंगे. खुद दुष्यंत भी इस उपचुनाव को लेकर एक मजबूत उम्मीदवार को तलाश रहे हैं. जेजेपी को बेशक अभी तक पार्टी सिंबल नहीं मिला है, लेकिन दुष्यंत यह ऐलान कर चुके हैं कि जेजेपी जींद उपचुनाव लड़ेगी. ऐसे में अगर दुष्यंत की पार्टी का उम्मीदवार मैदान में आता है तो आयोग की ओर से उसे अस्थाई सिंबल एलॉट किया जाएगा. पिछले दिनों पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता के साथ बैठक हो चुकी है. दुष्यंत किसी मजबूत ब्राह्मण नेता को भी यहां से चुनाव लड़ सकते हैं. दुष्यंत के पिता एवं पूर्व सांसद डॉ अजय सिंह चौटाला भी सोमवार को 14 दिन की फरलो पर तिहाड जेल से बाहर आ गए हैं. ऐसे में अब उम्मीदवार का चयन करने में दुष्यंत को आसानी होगी.
दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि जननायक जनता पार्टी का यह पहला चुनाव होगा हम पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे भी और जीतेंगे भी जींद में दो बड़ी सफल रैलियां इस बात का सबूत है कि जनता हमारे साथ है यह हमारी शुरुआत होगी. ऐसे में दुष्यंत और अभय के लिए जींद के चुनाव जीतना एक जिद्द सी बनती दिखाई दे रही है. जिसे कैसे भी दांव पेंच से पूरा किया जाना तय है.
2014 के चुनाव में भाजपा के सुरेंद्र बरवाला ने इनेलो के उम्मीदवार मिड्ढा को कड़ी टक्कर दी थी. मिड्ढा की मौत के बाद उनके सुपुत्र कृष्ण मिड्ढा इनेलो छोड़ भाजपा का दामन थामे हैं. इसीलिए इनेलो को नए चेहरे पर दांव खेला होगा. वहीं जननायक जनता दल के लिए भी यह एक अग्नि परीक्षा होगी. पार्टी प्रदेश में पहली बार किसी चुनाव में उतरेगी इससे अजय चौटाला दुश्मन तो नैना चौटाला का जमीनी जनाधार भी सामने आ जाएगा.