नया प्रदेश अध्यक्ष बनते ही चुनाव की तैयारी शुरू कर देगी कांग्रेस : भूपेंद्र सिंह हुड्डा
हरियाणा में कांग्रेस राजनीति के बजाय कुतर्कों का सहारा ज्यादा ले रही है।
26 दिसंबर 2018
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नया हरियाणा
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में तो कांग्रेस का संगठन ही नहीं है. अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आदेश का इंतजार है कि कब नया अध्यक्ष देते हैं. उन्होंने मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर का नाम लिए बगैर कहा कि प्रदेश के सभी नए चुने सदस्य राहुल गांधी को लिखकर दे चुके हैं कि नया अध्यक्ष चाहिए. 4 साल से प्रदेश में ब्लाक व जिला कमेटी भंग है. इसलिए पार्टी को मुश्किल हो रही है. हुड्डा ने कहा कि मनोहर लाल सरकार काम करने की बजाय इवेंट मैनेजमेंट में पारंगत है. वह कभी गीता महोत्सव पर आते हैं, कभी कोई कार्यक्रम, लेकिन बेरोजगारी, नोटबंदी, किसानों की समस्या आदि पर खामोश रहते हैं. इन्हें लोकेशन पर उन्होंने कहा कि अब उसका कोई अस्तित्व नहीं बचा है. प्रदेश के किसान अब कांग्रेस के साथ हैं. नगर निगम चुनाव में भाजपा की जीत को लेकर उन्होंने कहा कि चुनाव नतीजों में सिर्फ मेयर पद के नतीजों को दिखाया जा रहा है, जबकि कांग्रेस तो चुनाव लड़ी ही नहीं. उन्होंने कहा कि रोहतक की 22 सीटों में से भाजपा ने आठ जीती हैं. वहीं हिसार 20 में से 7 सीट जीती है. ऐसे में उनकी जीत कैसे कह सकते हैं.
कांग्रेस की चुनाव को लेकर तैयारी के सवाल पर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अब नया प्रदेश अध्यक्ष मिलते ही तैयारी शुरू कर दी जाएगी. उनके कहने का तात्पर्य यह है कि कांग्रेस हाईकमान अशोक तंवर को अध्यक्ष पद से हटाने जा रही है. दरअसल अपने रोहतक में मेयर का चुनाव और अपने वार्ड से भी शर्मनाक पराजय झेलने के बाद हुड्डा सच बोलने लगे हैं। सच कहते हैं कि कांग्रेस का तो संगठन ही शून्य है। 5 साल से जो पार्टी बिना किसी जिलाध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष, महिला अध्यक्ष और बिना किसी मोर्चे के अध्यक्ष के ही चल रही है, उस पार्टी का भला कैसे हो सकता है? 2014 से ही हरियाणा की सभी इकाइयां भंग हैं। अब हरियाणा में सिर्फ सत्ता-लोलुप समूहों का बेमेल झुंड बनकर रह गयी है कांग्रेस। कांग्रेस में मुख्यमंत्री की रेस में तो बहुत सारे नेता नजर आते हैं, परंतु संगठन के स्तर पर सफाचट हैं। ऐसे में किस बिनाह पर कांग्रेस हरियाणा में सरकार बनाने के सपने देख रही है?
5 मेयर चुनावों में हार का मथन करने के बजाय पूर्व सीएम जहां ईवीएम का रोना रो रहे थे, वहीं बाकी के नेता ये कह रहे थे कि पार्टी ने सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ा था। कुछ नेताओं की तरफ से दलीलें दी जा रही थी कि कांग्रेस तो मेयर का चुनाव कभी सिंबल पर नहीं लड़ती। जबकि ये बात सभी जानते हैं कि हरियाणा में मेयर के सीधे चुनाव पहली बार हो रहे थे। ऐसे में ये दलील राजनीतिक तौर हजम होने वाली नहीं थी। कांग्रेस राजनीति करने के बजाय हरियाणा में कुतर्कों पर ज्यादा फोकस कर रही है। इसी कारण बीजेपी हरियाणा में फ्री-हैंड होकर राज कर रही है। क्योंकि कांग्रेस और इनेलो दोनों अंदरूनी तौर पर आपसी लड़ाइयों में जूझ रही हैं। तीन राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस को पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनाव में उतरना चाहिए, जबकि कांग्रेस बैकफूट पर नजर आई।