मनोहर लाल और राव इंद्रजीत के बीच विधायक बिमला चौधरी ने बढ़ाई तकरार
दोनों खेमों के बीच खींचतान लगातार बढ़ती जा रही है.
26 दिसंबर 2018
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नया हरियाणा
अहीरवाल की राजनीति आजकल हरियाणा में अपने चरम पर है. मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विधायकों में से बिमला चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि लोकरा गांव की रैली को निजी कार्यक्रम बताया जा रहा है, जबकि वहां सरकारी पैसे व मशीनरी का दुरुपयोग किया गया था. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर निजी कार्यक्रम में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग क्यों किया गया, जबकि उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के बारे में मुझे अंधेरे में रखा गया. जिसकी शिकायत हाईकमान से हर हालत में की जाएगी.
राव इंदरजीत की करीबी बिमला चौधरी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री के खिलाफ आक्रामक तेवर अपना लिए हैं. उन्होंने कहा कि पटौदी में मुख्यमंत्री जब अस्पताल का उद्घाटन करने आए तो 15 करोड रुपए की घोषणा करके गए, लेकिन मंजूर सिर्फ डेढ़ करोड रुपए किए गए. जब मैंने विरोध किया तो सीएम बोले बहुत पैसे दे दिए. अब और नहीं दूंगा. यह कहकर सिर्फ 5 करोड का ही बजट क्षेत्र की पंचायतों को दिया. उनके अनुसार जो घोषणाएं हुई हैं. सीएम उनको पूरा करने के लिए पैसे नहीं होने की बात कहते हैं, लेकिन सार्वजनिक मंचों पर खजाना भरा हुआ बताते हैं.
उन्होंने मनोहर सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि निजी कार्यक्रम में 10 करोड रुपए की घोषणा कैसे कर गए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की टीम के सदस्य राव इंदरजीत की भी अनदेखी की जा रही है. चाहे मानेसर या सुल्तानपुर में कॉलेज के शिलान्यास की बात हो या कोई दूसरा आयोजन लेकिन किसी भी पत्थर पर राव इंदरजीत का नाम नहीं है. उन्होंने कहा कि राव इंद्रजीत सिंह का गढ़ है.
पटौदी की जनता यह अपमान नहीं सहेगी. लोकरा रैली के आयोजन में भाजपा के प्रदेश सह प्रवक्ता सत्य प्रकाश द्वारा न्यौता दिए जाने के सवाल का जवाब देते हुए विधायक ने कहा मुझे किसी सत्य प्रकाश ने फोन नहीं किया. सत्य प्रकाश क्या है. मेरी शिकायत सीधी सीएम से है. उसका नाम ही मत लिखो. प्रदेश के 90 विधायकों में मेरी गिनती है. विधायक ने कहा कि मैंने पार्टी के संगठन मंत्री सुरेश भट से भी शिकायत करने के लिए फोन किया. उन्होंने भी इस बात पर हैरानी जताई कि जब सीएम चाय पर जा रहे हैं तो जनसभा कैसे कर लेंगे. विधायक के अनुसार संगठन मंत्री ने इस बारे में सीएम से बात करने का आश्वासन दिया है लेकिन बाद में उन्होंने भी फोन उठाने बंद कर दिए. इस पूरे घटनाक्रम से यह आभास हो रहा है कि दोनों टीमों के बीच दरार लगातार बढ़ती जा रही है और इस दरार को भरने के लिए कोई मंत्री या पदाधिकारी सामने नहीं आ रही है।
मनोहर सरकार को विपक्ष से ज्यादा सलीके से घेरने का काम सरकार के विधायक ज्यादा कर रहे हैं। जबकि विपक्ष मनोहर सरकार के सामने लाचार ज्यादा लगता है और आपसी लड़ाई से न तो कांग्रेस उभर पाती है और न इनेलो।