हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु द्वारा किसानों को खेती के साथ उद्योग अपनाने के मूल मंत्र के साथ इन दिनों चल रहे उनके जन जागरण अभियान के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि कैप्टन कि यह प्रदेश में इनेलो के बिखराव व पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के जेल जाने तथा सीबीआई सहित विभिन्न मामलों में लगातार घिरते जा रहे प्रदेश के दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बाद रिक्त हुए किसान नेता के पद पर आसीन होने की राजनीति तो नहीं। असल में इस बात से किसी को इनकार नहीं है कि सत्ताधारी दल में कैप्टन अभिमन्यु से वरिष्ठ कोई किसान या कहो जाट नेता नहीं है और जिस प्रकार से उन्होंने पिछले 4 साल का शासन बिना दाग के निकाला है। उसके बाद जिस प्रकार से वह प्रदेश में किसानों को लेकर उग्र रूप में दिखाई दे रहे हैं। उसके बाद इन संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।
कैप्टन अभिमन्यु रविवार को किसान बहुलक हो या फिर कहो कि जाट बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र पृथला के गांव मोहना में लैवरफेड हरियाणा के चेयरमैन सुरेंद्र तेवतिया द्वारा चौधरी चरण सिंह जयंती पर आयोजित जनसभा को संबोधित करने आए, लेकिन अपने संबोधन के दौरान प्रदेश के वित्त मंत्री वित्त मंत्री कम और प्रदेश के बड़े किसान व जाट नेता की भूमिका में ज्यादा नजर आए। अपने पूरे भाषण के दौरान उन्होंने जाट व किसान समुदाय की एकता व उत्थान पर अधिक जोर दिया। साथ ही वित्त मंत्री होने के नाते प्रदेश की वित्त व्यवस्था का वर्णन करने के स्थान पर किसानों की अर्थव्यवस्था की गणना की। जिस गणना के तहत वह यह बता गए कि आज एक उद्योगपति के हिस्से में ₹2 आते हैं तो किसान के हिस्से में मात्र 25 पैसे आते हैं। सर छोटू राम व किसान नेता चरण सिंह की तर्ज पर वह इस कारण एक नया सूत्र किसानों को दे गए कि किसान खेती व देश की रक्षा के साथ-साथ उद्योग व व्यापार को अपनाएं क्योंकि देश के प्रधानमंत्री ने अपनी घोषणा स्वरूप यदि किसान की आमदनी दोगुनी कर दी तो वह 50 पैसे होगी। जबकि उद्योगपति ₹2 का मालिक है।
अपने संबोधन में प्रदेश के वित्त मंत्री बात ही बातों में यह भी बता गए कि वह विश्व के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्री की न केवल डिग्री लिए हुए हैं, बल्कि उनके पिताजी वर्षों पहले उनको उद्योग की तरफ नहीं धकेलते तो वह आज प्रदेश के वित्तमंत्री नहीं होते। यही नहीं बात ही बातों में किसानों को संघर्ष का संदेश देते वित्त मंत्री बता गए कि भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के आसपास के क्षेत्र को लठ और गीता का ज्ञान दिया था। इसके साथ ही उन्होंने पूरे संबोधन को जिस प्रकार से किसान उत्थान से जोड़ा।
उसके बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा आम है कि कैप्टन अभिमन्यु कहीं ना कहीं उस शून्य को भरने की तैयारी में है जो कि इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के कानूनी पचड़े में पड़ने के बाद बना है। असल में राजनैतिक तौर पर यह माना जा रहा है कि बेशक जेल में रहते हुए भी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री इनेलो को चलाते रहे पर यदि वह जेल से बाहर होते तो इनेलो नें ये बिखराव नहीं होता।
और इस बिखराव के बाद जो जाट व किसान नेता का ताज उनके सिर पर जेल में रहते हुए भी था वह अब इस बिखराव की स्थिति में नहीं है और क्योंकि जाट समुदाय राजनीतिक तौर पर खासा समझदार व जागरूक माना जाता है। तो इस बात की संभावना भी कम ही व्यक्त की जा रही है कि समुदाय इस ताज को सीबीआई में घिरे और अपने ही दल में पूर्ण महत्व की वाट टोह रहे पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के सिर पर रखेंगे।
भाजपा को जो उम्मीद केंद्रीय इस्पात मंत्री से थी वो उन्होंने अपने बेटे को राजनीति में उतार कर समाप्त कर ली, क्योंकि बेटे का राजनीति में पदार्पण उनकी सेवानिवृत्ति की तरफ इशारा कर रहा है। जबकि अपने आप को प्रधानमंत्री के मित्र के रूप में चर्चित कर किसान राजनीति करने की बात पूरे प्रदेश के कृषि मंत्री जाट आरक्षण आंदोलन ने ऐसे अपने विधानसभा क्षेत्र में अटकाएं है कि वह उससे बाहर निकल ही नहीं पा रहे हैं। सत्ताधारी दल ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जाट नेतृत्व पैदा करने की रणनीति पर काम किया था। प्रदेश अध्यक्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री से सामजस्य बना कर सरकार व संगठन को तो एक साथ लाने में कामयाब हो गए पर इस सामजस्य में अपनी अलग छवि बनाने में असफल ही रहे हैं।
यही कारण है कि राजनीतिक गलियारों में ले देकर जाट समुदाय की निगाह वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु पर आकर टिक गई है, क्योंकि 4 साल के शासन में बेदाग छवि के साथ-साथ संगठन का जो अनुभव व केंद्र में उनकी पकड़ को समुदाय अच्छी तरह से जानता है। माना जा रहा है कि कैप्टन आज इस स्थिति में है कि पार्टी में अपने समुदाय के नेताओं के हितों के लिए लड़ सकते हैं, क्योंकि संगठनात्मक तौर पर यह माना जाता है कि गैर जाट कार्ड के साथ गत विधानसभा चुनाव में उतरे सत्ताधारी दल में इस समुदाय के आधा दर्जन से अधिक नेताओं को उन्होंने ही टिकट दिलवाई थी। अब जिस प्रकार से चौधरी चरण सिंह छोटू राम की तर्ज पर वित्त मंत्री ने अपना अघोषित जन जागरण अभियान शुरू किया है और हर स्थान पर वित्त मंत्री को जाट व किसान समुदाय हाथों हाथ ले रहा है। उसके बाद राजनीतिक गलियारों में कैप्टन अभिमन्यु को भावी किसान नेता के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा आम है कि जाट लैंड का युवा होने के साथ-साथ पिछले 4 साल में सरकार में कैप्टन ने जहां समुदाय की पूरी पैरोकारी की है, वहीं साधन संपन्न होने के कारण अपनी बात को आम आदमी तक पहुंचाने का तंत्र उन्होंने विकसित किया। जिसका सीधा फायदा अब उनको मिल रहा है।