जाट आरक्षण दंगों की जांच कर रहे झा कमीशन की जांच हुई पूरी, 6 महीने कार्यकाल बढ़ाने की मांग की
झा आयोग की जांच में यशपाल मलिक समेत सुदीप कलकल, मनोज दूहन, झज्जर निवासी कप्तान मानसिंह, प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह भी शामिल हैं।
14 दिसंबर 2018
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नया हरियाणा
जाट आरक्षण दंगों की जांच कर रहे झा कमीशन की जांच लगभग पूरी हो चुकी है। लेकिन सेक्शन 8 B नोटिस दिए जाने से ऐसा पेंच फंस गया है कि आयोग ने 6 महीने का और कार्यकाल बढ़ाने की मांग सरकार को भेजी है। यह पांचवीं बार है जब कमीशन ने कार्यकाल बढ़ाने की मांग की है। वहीं जाट आरक्षण दंगों की जांच कर रहे झा कमीशन के सामने जाट नेता यशपाल मलिक पेश हुए। कमीशन के अध्यक्ष एसएन झा के छुट्टी पर होने के कारण अब मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी। यशपाल मलिक ने झा कमीशन को राजनीतिक साजिश बताते हुए इसके गठन के औचित्य पर ही सवाल उठा दिया।
झा कमीशन ने द कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट 1952 के तहत अभी तक 5 लोगों को ही नोटिस दिया है। जिसमें रोहतक के एडवोकेट सुदीप कलकल, एडवोकेट मनोज दूहन, झज्जर निवासी कप्तान मानसिंह, प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह भी शामिल है। नोटिस में आरोपी को अपनी ओर से बचाव के प्रमाण पेश करने का समय भी दिया जाता है। प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह इस नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट में गए हैं। ऐसे में कमीशन को आशंका है कि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिक समय लग सकता है। इसीलिए 6 महीने का कार्यकाल बढ़ा दिया जाए।
एडिशनल एडवोकेट जनरल अनिल यादव का कहना है कि हम जनवरी के पहले सप्ताह में रिपोर्ट फाइल करने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन मामला हाईकोर्ट में होने के कारण यह संभव नहीं हो पाया। इसीलिए हमने कार्यकाल बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है। व्यवहारिक रूप से यह रिपोर्ट अब न तो फाइनल की जा सकती है और न ही सरकार को सौंपी जा सकती है।