जनता ने उचित अनुपात में पक्ष और विपक्ष को शक्तिसंपन्न किया : आशुतोष राणा
प्रजा ने अपने जनादेश से यह स्पष्ट कर दिया की जनता को अब सिर्फ़ चुनाव के समय ही महत्वपूर्ण मानने की भूल ना की जाए।
12 दिसंबर 2018
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नया हरियाणा
पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम से जो बात मुझे स्पष्ट हुई वो ये है कि हम नागरिकों की समझ लोकतांत्रिक रूप से परिपक्व हो रही है। नागरिकों ने एक ऐसा जनादेश दिया जिससे दोनों प्रमुख दल और उनके नेता अब जनता जनार्दन को ग्रांटेड नही ले सकते। प्रजा ने अपने जनादेश से यह स्पष्ट कर दिया की जनता को अब सिर्फ़ चुनाव के समय ही महत्वपूर्ण मानने की भूल ना की जाए।
लोकतंत्र में जितना महत्व पक्ष का होता है उतना ही महत्व विपक्ष का भी होता है, भारतवर्ष की प्रजा ने इस बार बिलकुल उचित अनुपात में पक्ष और विपक्ष को शक्तिसंपन्न किया है। पक्ष को सिर्फ़ उतनी ही शक्ति दी जिससे वह अहंकार से ग्रस्त ना हो व विपक्ष को भी सिर्फ़ उतनी ही शक्ति दी जिससे वह कुंठा से ग्रस्त ना हो, क्योंकि समाज के लिए जितना घातक अहंकार होता है उतनी ही घातक कुंठा भी होती है।जनता जनार्दन ने ना तो एक पक्ष पर स्वयं को न्योछावर किया और ना ही दूसरे पक्ष को अपनी अरुचि का केंद्र बनाया।
परिपक्व और कुशल माता पिता इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं की माता पिता का अत्यधिक लाड़ हो या अत्यधिक उपेक्षा, दोनों ही संतान को बिगाड़ने का काम करते हैं और संतान का बिगड़ना पूरे परिवार के लिए अकल्याणकारी होता है। प्रजा, तंत्र की पालक होती है। प्रजा ने इस बार एक कुशल माता पिता के जैसा सटीक निर्णय लिया जिससे लोकतंत्र अपने मूल स्वरूप को प्राप्त कर समाज के कल्याण का हेतु बने क्योंकि ये ‘प्रजा का, प्रजा के लिए, प्रजा के द्वारा बनाया गया तंत्र होता है।’अंत में एक बिना माँगी सलाह उन नायकों के लिए जिन्हें समाज ने अपनी शक्ति से सम्पन्न किया है-
किसी अन्य को अहंकार से मुक्त होने की सलाह देते समय इस बात का ध्यान रखिए कि हम स्वयं भी अहंकारी ध्वनित ना हों। क्योंकि अहंकार की प्रकृति बहुत विचित्र होती है, जहाँ दूसरे का अहंकार हमें तुरंत दिखाई दे जाता है वहीं स्वयं का अहंकार हमें कभी दिखाई नही देता।