पिछले साल गुरुग्राम के रैयान स्कूल में बच्चे के साथ हुई घटना देश भर में सुर्खियों में रही थी। इसके बाद हर अभिभावक स्कूलों में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित था। अभिभावकों की चिंता व बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार ने 15 सितंबर 2017 को एक आदेश जारी कर सभी स्कलों को बच्चों की सुरक्षा से जुङे नियम लागू करने के आदेश जारी किए थे। आप सुनकर हैरान रह जाएंगे कि कुछ माह बाद भिवानी के एक सामाजिक संगठन, शिक्षा स्वास्थ्य सहयोग संगठन, द्वारा सुरक्षा के नियमों को लेकर आरटीआई मांगी गई तो सभी नियम सफेद हाथी साबित हुए। इसके बाद इस संगठन ने सुप्रिम कोर्ट व हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधिश व राष्ट्रीय बाल आयोग को शिकायत भेजी गई।
शिक्षा स्वास्थ्य सहयोग संगठन के अध्यक्ष एडवोकेट बृजपाल परमार ने बताया कि शिकायत के बाद राष्ट्रीय बाल आयोग ने कङा संज्ञान लिया है और शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को स्कूली बच्चों की सुरक्षा से जुङे नियम सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किए हैं। उन्होने बताया कि इन निर्देशों पर जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। उन्होने बताया कि ये निमय लागू होने के बाद प्रदेश भर के करीब 23 हजार स्कूलों के करीब 50 लाख बच्चों व उनके अभिभावकों को राहत पहुंचेगी। साथ ही एडवोकेट बृजपाल परमार ने कहा कि ये नियम दो माह के अंदर लागू नहीं हुए तो इसे सुप्रिम कोर्ट की अवमानना मानते हुए दौबारा सुप्रिम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।
आपको बता दें कि इस संगठन के प्रयासों के बाद हर स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के लिए ये 11 नियम लागू होने हैं-
1. सभी स्कूलों में अग्नि संयंत्र लगाने अनिवार्य हैं।
2. स्कूलों का भवन ढांचा शिक्षा विभाग द्वारा जारी नियमानुसार अनिवार्य हैं।
3. प्रत्येक स्कूल में शिकायत बॉक्स लगाने व शिकायत निपटान के लिए कमेटी का गठन करना अनिवार्य है।
4. स्कूल बसों के अंदर सीसीटीवी कैमरे व महिला अटेंडेंट अनिवार्य हैं।
5. स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर सभी आपात कालीन दूरभाष नम्बर व हैल्पलाइन अंकित किए जाने अनिवार्य हैं।
6. छात्र-छात्राओं के लिए अलग से शौचालय एवं समुचित पेयजल व्यवस्था जरूरी है।
7. स्कूल में अर्ध अवकाश के दौरान पीटीआई, डीपीई की मुख्य गेट पर बच्चों की गतिविधियों पर निगरानी जरूरी है।
8. स्कूल के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी वर्दी पहनना अनिवार्य हैं।
9. स्कूलों के अंदर एलईडी लाइटों का समुचित प्रबंध अनिवार्य है।
10. विद्यालय के मैन गेट पर सेवा सहायक की डयूटी लगाई जाए, ताकि कोई बच्चा शैक्षणिक गतिविधि के दौरान बाहर ना जा सके।
11. स्कूल में सुरक्षा नियमों को लेकर आदेश पुस्तिका लगाई जाए और प्रत्येक शनिवार को बैठक का आयोजन किया जाए।
स्कूल चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी। हर स्कूल में बच्चे के अक्षर ज्ञान से पहले उसकी सुरक्षा सबसे अहम मसला है। इस संगठन के प्रयासों के बाद अब हर जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को ये नियम सख्ती से लागू करने व उनकी रिपोर्ट कार्यालय में जमा करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में जल्द ही हर अभिभावक को अपने बच्चों की सुरक्षा से जुङी चिंता की लकीर खत्म होने की उम्मीद जगी है।