गांव में ठेका बन्द करने के लिए 31 दिसम्बर तक आवेदन करें : हरियाणा सरकार
मनोहर सरकार ने ये जनहित में कदम उठाया है, दूसरी तरफ अवैध तस्करी बढ़ सकती है।
7 दिसंबर 2018
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नया हरियाणा
गांव मे शराब का ठेका बन्द करवाने के लिए 31 दिसम्बर 2018 तक आवेदन करे ग्राम पंचायत
सरकार /प्रशासन ने 31 दिसंबर, 2018 तक हरियाणा की सभी ग्राम पंचायतों से आवेदन मांगे
हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री माननीय मनोहरलाल खट्टर ने ग्राम पंचायतों में शराब के ठेकों पर रोक लगाने के लिए सराहनीय कदम उठाया है परंतु अब ग्राम पंचायत के सरपंच पर डिपेंड हैं कि वो क्या चाहते हैं। क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी ने 31 दिसंबर, 2018 तक हरियाणा की सभी ग्राम पंचायतों से आवेदन मांगे है कि जो ग्राम पंचायत चाहती है कि उनके यहां शराब के ठेकों को सरकार मंजूरी ना दें वे लिखित रूप में आबकारी व कराधान विभाग को 31 दिसंबर तक भेज दें। जो ग्राम पंचायत ऐसा करती है उस ग्राम पंचायत में 1 अप्रैल, 2018 के बाद शराब के ठेके दिखाई नहीं देंगे। सीएम के इस ब्यान के बाद जो सरपंच ग्रामीणों के स्वास्थ्य, ग्रामीण माहौल व शराब के कारण परिवारों में की बिगड़ी हालत को सुधारना चाहते हैं उनमें खुशी का माहौल है। क्योंकि बहुत से सरपंच काफी समय से प्रयास में थे कि उनके गांव में शराब ठेका ना हो। परंतु ऐसा कोई प्रावधान न होने के कारण दबंगों के आगे उनको हथियार डालने पड़ते थे। गौरतलब है कि पिछले साल जिला हिसार के गांव ढांणी खानबहादुर में शराब के ठेकेदारों ने अपनी दबंगई दिखाते हुए गांव के भलेराम का अपहरण कर हत्या करवा दी गई थी। जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल आज भी है। ऐसी वारदातों के जिम्मेदार सिर्फ दबंग ही नहंी होते। बल्कि स्वयं ग्राम पंचायत जो चंद फायदे की खातिर शराब के ठेकों को मंजूरी प्रदान करवाती है। साथ ही गांव के वे पढ़े-लिखे ग्रामीण व युवा भी जिम्मेदार है जो शराब नहीं पीते। क्योंकि जो लोग शराब नहीं पीते उनकी जिम्मेदारी बनती है कि गांव के माहौल को खराब होने से बचायें। शराब के ठेकों से ग्राम पंचायत को टैक्स मिलता है। क्या उसी से गांव का विकास संभव है? ये सोचने वाली बात है। ग्रामीण महिलाओं व युवाओं और वे मतदाता जिन्होंने ग्राम पंचायत को जिताकर ग्राम विकास के लिए चुना है उन सबकी जिम्मेदारी बनती है कि वे ग्राम पंचायत सकारात्मक दबाव बनाये और मांग करें कि गांव के विकास के लिए, ग्राम माहौल ना बिगड़े उसके लिए 31 दिसंबर तक आबकारी व कराधान विभाग को लिखित में दें कि उन्हें उनकी ग्राम पंचायत में शराब का ठेका नहीं चाहिए। और ग्राम सरपंच भी सार्वजनिक रूप से ग्रामीणों को भी बतायें कि वे शराब का ठेका नहीं चाहते। और जो सरपंच चंद टैक्स भर को देखकर ये कहता है कि वे नहीं लिखकर देंगे तो वो भी सार्वजनिक करें कि क्या कारण है कि वे शराब के ठेकों पर रोक नहीं चाहते? क्या कारण है कि वे बिगड़ते ग्रामीण माहौल को सुधारना नहीं चाहते? क्या कारण है कि वे युवाओं को नशे से मुक्त नहीं करना चाहते? ग्राम पंचायत सरपंच व पंच जवाब दें।