सबसे पिछड़े नूंह जिले में दिखने लगे हैं विकास के काम
नीति आयोग ने करीब पांच माह पहले नूंह जिले को देश का सबसे पिछड़ा जिला घोषित किया था.
3 दिसंबर 2018
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नया हरियाणा
नीति आयोग ने करीब पांच माह पहले नूंह जिले को देश का सबसे पिछड़ा जिला घोषित किया था. तभी से सेहत के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता दिखाई तो केंद्र - राज्य सरकार का ध्यान भी सीधा -सीधा नूंह जिले पर गया। पिछले पांच माह में बहुत से बदलाव स्वास्थ्य विभाग में हुए हैं ,लेकिन अभी भी इस जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाना आसान नहीं है। दिल्ली से महज 70 किलोमीटर दूर इस जिले पर देर से ही सही कम से कम केंद्र-राज्य सरकार की नजर तो पड़ी। जिले की आबादी तक़रीबन 14 लाख है। स्वास्थ्य विभाग ने आबादी को ध्यान में रखकर जो पैरामीटर तय किये हैं, उस पर विभाग कभी भी खरा नहीं उतरा। विभाग भ्रष्टाचार के लिए खूब चर्चाओं में रहा, लेकिन राहत की खबर यह है कि स्वास्थ्य विभाग की कोशिशें दिखाई देने लगी हैं।
आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के पास अल आफिया अस्पताल सामान्य अस्पताल है, तो नूंह , फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना में सीएचसी है। इसके अलावा तावडू - पिनगवां की दो सीएचसी अगले दो माह में निर्माण कार्य पूरा होने के बाद जनता को समर्पित होने वाली हैं। 18 पीएचसी हैं, तो बिसरू गांव में नई पीएचसी का प्रपोजल विभाग को भेजा गया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पिछले पांच माह में 70 फीसदी स्टाफ की नियुक्ति की गई है। डॉक्टर , 80 एएनएम , 100 स्टाफ नर्स , एमपीएचएस , हैल्थ इंस्पेक्टर इत्यादि पदों पर नियुक्ति की गई हैं। मांडीखेड़ा में नई एक्सरे मशीन लगाई गई है , जो सभी सुविधाओं से लैस है। नूंह सीएचसी में एक्सरे मशीन काम कर रही है, तो बाकि सीएचसी - पीएचसी में एक्सरे की सुविधा उपलब्ध नहीं है। बात अगर अल्ट्रासाउंड की करें तो स्वास्थ्य विभाग में कोई मशीन काम नहीं कर रही। नल्हड मेडिकल कालेज में जरूर अल्ट्रासाउंड की सुविधा मरीजों को मिल जाती है। फिरोजपुर झिरका शहर में किराये के मकान में अस्पताल चलता है। भवन की हालत खस्ता होने की वजह से विभाग को यह कदम उठाना पड़ा। नया भवन करीब साढ़े सात करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाना है।
पीडब्ल्यूडी विभाग को राशि उपलब्ध करा दी गई है। बात अगर सब सेंटर की करें तो जिले में 94 सब सेंटर हैंं. जिन पर करीब 188 एएनएम की जरुरत है। पिछले कुछ माह में 160 एएनएम की नियुक्तियां की जा चुकी हैं। अब अब हर सोमवार को सब सेंटर नियमित खुलेगा तो बाकि दिनों में घर - घर जाकर स्वास्थ्य सेवाएं देने का काम किया जायेगा। सब सेंटर में आधुनिक उपकरण की व्यवस्था भी की गई है। जिले में सबसे ज्यादा मलेरिया के केस होने पर सिविल सर्जन डॉक्टर राजीव बातीश ने कहा कि उजीना ड्रेन इसकी मुख्य वजह रही है ,लेकिन इस साल काफी कंट्रोल हुआ है। बात अगर डिप्थीरिया से मौत के आंकड़े की करें तो करीब 27 मौत हुई हैं। जिसमें टीकाकरण कम होना बड़ी वजह है। अब करीब 80 गांवों को स्वास्थ्य विभाग ने चिन्हित किया है , जिनमें मजबूती से टीकाकरण किया जायेगा। स्वास्थ्य विभाग की कोशिश है कि लोगों की सेहत अच्छी रहे। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के बीच हरियाणा के अस्पतालों को लेकर जो बहस छिड़ी हुई है। उससे यह तो साफ है कि अभी बहुत सुधार की गुंजाईश है। अगर एक भी अस्पताल में नूंह (मेवात) जिले में अल्ट्रासाउंड की मशीन काम नहीं कर रही तो बड़बोले अनिल विज को इस ओर ध्यान देना चाहिए।