नगर निगम के चुनाव भले ही हरियाणा के 5 बड़े शहरों में होने तय हुए हैं, परंतु हरियाणा के शहरी वोटरों का रुझान किस तरफ है. इन चुनावों के परिणामों से इसका अंदाजा जरूर लग जाएगा. नगर निगम के चुनाव इसलिए भी अपना विशेष आकर्षण बनाएंगे, क्योंकि ये चुनाव कई चौधरियों की चौधर की ताकत का पता लगाने का काम करेंगे.
हिसार शहर में चुनावी बिगुल बजने के साथ ही मेयर पद की दौड़ शुरू हो चुकी है। मेयर पद के पदत्याशी किसी ना किसीपार्टी का दामन थामने की तैयारियों में जुट गए हैं। पिछले कुछ दिनों में प्रदेश में तेजी से हुए राजनीतिक बदलाव इस चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे।
नये प्रत्याशियों को जोडक़र भारतीय जनता पार्टी मजबूती के साथ मेयर पद कब्जा जमाने का दम भर रही है। भाजपा में मेयर पद की टिकट के कई दावेदार हैं। दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके और पूर्व पार्षद रहे गौतम सरदाना भाजपा टिकट के मुख्य दावेदार बताए जा रहे हैं. ऐसे में सीधे-सीधे मनोहर लाल के साख दांव पर लगी होगी.
वहीं कांग्रेस में प्रत्याशियों की निगाहें जिंदल हाउस और कुलदीप बिश्रोई पर टिकी हुई हैं।
हिसार की राजनीति में जिंदल हाउस का हस्तक्षेप मेयर की जीत और हार को तय करता है। ऐसे में जिंदल हाउस से खड़े होने वाले प्रत्याशी पर जनता की नजर टिकी हुई है। जबकि कांग्रेस में शामिल हुए नेता कुलदीप बिश्रोई भी अपने खेमे से प्रत्याशी उतार सकते हैं।
कांग्रेस की इस आपसी खींचतान का फायदा भाजपा को मिलता हुआ दिख रहा है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के दूसरे बड़े नेता कुलदीप बिश्नोई को मात देने की रणनीतियों में अभी से लग गए हैं. क्योंकि उन्हें ये खतरा सता रहा है कि कहीं कांग्रेस भी गैर जाट चेहरे के नाम पर विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कुलदीप बिश्नोई को कहीं आगे न कर दे. क्योंकि हरियाणा में भाजपा का मजबूती देने में ये समीकरण काफी मदद कर रहे हैं.
वहीं पिछले कुछ समय से इनेलो में हुए बिखराव के कारण इनेलो समर्थकों में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। इनेलो के प्रत्याशी अभय और अजय के बीच उलझ चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने पहले ही पार्टी के सिंबल पर चुनाव लडऩे की बात कही थी।
अब देखने वाली बात होगी कि अजय और दुष्यंत अपने खेमे से किस का मेयर के चुनाव के लिए मैदान में उतारते हैं। हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला के राजनीतिक भविष्य की रूपरेखा इस चुनाव से तय हो सकती है. अगर युवा सांसद इन चुनावों में जीत का बिगुल बजाते हैं तो इसका फायदा उन्हें पूरे हरियाणा में मिल सकता है और अगर बुरी तरह फेल होते हैं तो इसका संगठन के तौर पर अभय चौटाला को फायदा मिलेगा.
हिसार नगर निगम चुनाव से सीएम पद की दावेदारी ठोकने वाले कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई और नई पार्टी की नींव रखने वाले दुष्यंत चौटाला की ताकत की भी जांच हो जाएगी. पूर्व सीएम हुड्डा और रणदीप सुरजेवाला के साथ-साथ जिंदल परिवार कुलदीप बिश्नोई के रास्ते में अड़चनें जरूर पैदा करेगा. क्योंकि सीएम पद की दावेदारी जहां पार्टी विविधता देती है, वहीं अंदरूनी स्तर पर कमजोर भी करती है. दूसरी तरफ भाजपा में इस तरह की खींचतान जमीनी स्तर पर कहीं नजर नहीं आ रही है.
अनुमान है कि केजरीवाल भी अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा सकते हैं. हालांकि उनका गृहक्षेत्र भले ही हिसार हो पर उनकी पार्टी को अभी जमीन पर पैर जमाने में टाइम लगेगा. दिल्ली में उनकी मीडिया अटेंशन भले ही काम कर गई हो परंतु हरियाणा में इस तरह के दांवपेंच अभी सफल होते हुए नहीं दिख रहे हैं. दूसरे उन्होंने पार्टी की कमान हरियाणा में नवीन जयहिंद को सौंपी हुई है. जिनका किसी भी वर्ग में कोई प्रभाव नहीं है. जातिगत समीकरण के लिहाज से भी ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगाने में असफल लग रहे हैं.
हिसार नगर निगम का राजनीतिक गुणा-गणित
हिसार नगर निगम में कुल 20 वार्ड हैं. इसके अलावा इस बार मेयर के लिए प्रत्यक्ष चुनाव होना है. जिसके लिए निगम के वार्डों के करीब 2 लाख 21 हजार मतदाता 20 पार्षदों और एक मेयर का चुनाव करेंगे। नगर निगम की ओर से जून में पहली वोटर लिस्ट जारी की गई थी। उसके अनुसार सबसे अधिक मतदाता वार्ड 3 में हैं, जबकि सबके कम मतदाता वार्ड 14 में है। वार्ड 3 में 16 हजार 784 मतदाता, जबकि वार्ड 14 में 7 हजार 116 मतदाता हैं। इस लिस्ट के अनुसार कुछ वार्डों में पहले से वाटर कम हुए हैं। जबकि कुछ मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। ओवरऑल शहर के मतदाताओं में भी करब 11 हजार की बढ़ोतरी हुई है।
पिछली बार से ज्यादा प्रत्याशी - इस बार करीबन 2 लाख 21 हजार मतदाता 20 वार्डों के प्रत्याशियों और मेयर के लिए मतदान करेंगे। वर्ष 2013 में हुए चुनाव में मतदाताओं की संख्या 2 लाख 10 हजार थी। इस बार 39 बूथ भी अधिक बनाए गए हैं। वर्ष 2013 में 166ा बूथ थे, जबकि इस बार 205 बूथों पर बोटिंग होगी। निगम में कांग्रेस समर्थित पार्षद 12 पार्षद - वर्ष 2013 में हुए चुनाव में किसी पार्टी ने अपने पार्टी के निशान पर चुनाव नहीं लड़ा था। हालांकि कांगे्रस समर्थित शकुंतला राजलीवाला मेयर बनी थी। कांग्रेस समर्थित 16 पार्षद का समर्थन हुआ था और पांच साल में उनके खिलाफ एक बार भी अविश्वास प्रस्ताव की नौबत नहीं आई थी। 2 जुलाई 2013 को मेयर चुनने की प्रक्रिया हुई थी। इसमें कांग्रेस समर्थित शकुंतला राजलीवाला मेयर चुनी गई थी। हालांकि सभी पार्षद निर्दलीय रूप से चुने गए थे, लकिन जीते हुए पार्षदों में 12 पार्षद ऐसे थे, जो कांगे्रस से जुड़े थे। जबकि निगम में इनेलो समर्थित 4 पार्षद थे। निगम में हजका समर्थित 1 पार्षद था। निमग में तीन पार्षद निर्दलीय थे। आंकड़ों का खेल - 2 लाख 21 हजार अनुमानित कुल वोट, 20 कुल वार्ड, 105 कुल स्टेशन, 204 बूथ, 460 ईवीएम, 230 कंट्रोलयूनिट. संवेदनशील बूथ- 4,8,13,15,16,32,33,34,36,38,42,43,50,55,73,76,77,85 --कुल 18 अतिसंवेदनशील बूथ- 2,24,28,37,39,40,44,46,48,52,53,56,57,58,59,60,61,64,71,74,83,87,88,89,90,91,92,93,94,95,96,97,98,99--कुल 34 बूथ