हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में जमीनों के घोटाले की जांच के लिए गठित ढींगरा आयोग की सील बंद रिपोर्ट हाईकोर्ट के आदेशों के तहत मंगलवार को सरकार ने हाई कोर्ट में सौप दी है। साथ ही इससे संबंधित दस्तावेज भी हाई कोर्ट को सौंप दिए गए।
जस्टिस एके मित्तल एवं जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने सीलबंद रिपोर्ट रिकॉर्ड में लेते हुए इस रिपोर्ट के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला भी सुरक्षित रख लिया है। मंगलवार को सुनवाई शुरू होते ही हुड्डा की ओर से पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के कुछ केसों का हवाला देते हुए कहा कि यह रिपोर्ट हाईकोर्ट देखने का अधिकार रखती है।
वहीं हरियाणा सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट इस रिपोर्ट को देखे। उन्हें इससे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि याचिकाकर्ता ने आयोग के गठन पर सवाल उठाए हैं और वह भी एक तय अवधि गुजर जाने के बाद यह याचिका दायर की गई है। इन सवालों पर भी हाईकोर्ट को अपने फैसले में गौर करना चाहिए।
हुड्डा का पक्ष- सुप्रीम कोर्ट के कुछ केसों का हवाला देते हुए बताया है कि सुप्रीम कोर्ट भी तय कर चुका है कि जिस मामले को जांच आयोग द्वारा गठित किया जाए, उसकी पहले एक प्रारंभिक जांच जरूर की जाए, लेकिन यहां सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया। इससे पहले सिब्बल ने कहा था कि सरकार बदलते ही एक मुद्दे को लेकर राय भी जरूर बदल जाती है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि बिना किसी सबूत के ही जान बूझकर किसी को फँसाये जाने की कोशिश की जाने लगे। ढींगरा आयोग के जरिए सरकार ने भी कुछ ऐसा ही किया है।
सरकार का पक्ष- हरियाणा सरकार मामले में अपना पक्ष रखते हुए कह चुकी है कि सरकार के पास इस मामले में पर्याप्त सबूत थे। यही कारण था कि सरकार ने सेवानिवृत जज की अध्यक्षता में निष्पक्ष जांच आयोग का गठन किया था। हुड्डा के सभी दावों को खारिज करते हुए कहा गया था कि सबसे पहले तो कैग की रिपोर्ट ही है। जिसमें स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी को गुरुग्राम में दी गई जमीन के लिए जारी सीएलयू पर सवाल उठाए गए हैं। यही सबूत ही अपने आप में पर्याप्त है। बावजूद इसके सरकार ने मामले की आगे जांच के लिए जांच आयोग का गठन किया है, अगर इस सबके बाद भी सरकार आयोग का गठन कर जांच नहीं करवाती तो सवाल जरूर उठते।
क्या है मामला
हरियाणा की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आवंटित की गईं सरकारी ज़मीनों का मामला अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के लिए परेशानी का कारण बन सकता है. द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस मामले की जांच के लिए राज्य की मौज़ूदा भाजपा सरकार द्वारा गठित जस्टिस (सेवानिवृत्त) एसएन ढींगरा आयोग ने ज़मीन आवंटनों में तमाम अनियमितताएं पाई हैं. उसका मानना है कि इन आवंटनों में भ्रष्टाचार हुआ है.
अख़बार के मुताबिक ढींगरा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में तो हुड्डा के ख़िलाफ जांच कराने और फिर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कार्रवाई की सिफारिश भी कर दी है. आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक हुड्डा सरकार ने नियम और कानून की अनदेखी कर कॉलाेनियां विकसित करने के लिए ज़मीनों के लाइसेंस मंज़ूर किए. आयोग का कहना है कि इसमें तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, साथ ही पद और पदाधिकारों का दुरुपयोग कर अपने नज़दीकियाें को फायदा पहुंचाया गया.