“घर से अकेले चले थे कुछ करने की ठान कर, लोग मिलते गये काफिला बनता गया।”
आज मैं आपको मिलवाने जा रहा हूं एक ऐसे इंसान से जिन पर ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं। गांव बिरोली, जिला जींद के युवा साथी महावीर बिरोली स्वामी विवेकानंद जी से प्रेरित होकर समाज में फैली बुराइयों को समाप्त करने की मुहिम में निकले हुए हैं। इस युवा साथी के जज्बे को देखकर आप में भी समाज सेवा की चिंगारी उठेगी। उसे हवा जरूर देना, दबा मत देना साथियों! खुद में विश्वास रखकर चलना। ऊपर लिखी लाईन आपका इंतजार कर रही हैं।

ईमानदारी और बिना किसी फायदे के निरन्तर 14 साल से गांव की हर तरह से फिक्र करने वाले महावीर बिरोली ने सबसे पहले अपने आपको जात धर्म की बेडियों से खुद को मुक्त किया और गांव को ही अपनी जान और पहचान दोनों बना लिया। इतनी कम उम्र में गांव की हर तरह की समस्याओं को लेकर सोच होने लगी थी। समस्या से डर कर नहीं लडकर समाप्त किया जा सकता है यह बात महावीर को समझ आ चुकी थी। अब बस बदलाव लाना है यह सोचकर महावीर ने यह बात अपने साथियों राकेश दूहन, नरेश भारद्वाज, सुभाष सांगवान, अश्विनी पांचाल, नसीब ग्रोवर, पवन सैणी, प्रदीप सांगवान और वीरेन्द्र दूहन के साथ बैठक कर अपने विचार साझा किये। सब लोगों में सहमति बनी और सरकारों और अफसरों के भरोसे ना बैठ कर अपने गांव की सुध बुध खुद लेने का निर्णय लिया।
सबकी सहमति से एक प्लेटफार्म बना जिसका नाम रखा गया "युवा खेल मंडल बिरोली" के नाम से रजिस्ट्रेशन करवाकर काम करने की सोची। जिसमें निर्विरोध अध्यक्षता महावीर बिरोली को दे दी गई। और सब साथी भी इसमें जोड़े गये। एक से एक मिलकर ग्यारह होते चले गए और कारवां बनता चला गया।
सबसे पहले गांव में सफाई अभियान चलाया गया। जो हर महीने आयोजित किया जाता है। उसी समय से आज तक निरन्तर चलाया जाता है। गांव के बड़े बुड्ढों से लेकर नव युवक भी अपना समय निकाल कर हर रविवार इस अभियान में हिस्सा लेते हैं।
फिर उन्होंने गांव में नशा मुक्ति अभियान चलाया। शराब हर घर की परेशानी बन चुकी थी। लोगों को जागरूक करके शराब का ठेका हटवाया और गांव में शराब का ठेका आज तक दोबारा नजर नहीं आया।
युवाओं को शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद की ओर लेकर आना और महावीर की इस पहल के कारण पांच हजार की आबादी वाले इस छोटे से गांव से औसतन हर साल 8-10 युवा भारतीय सेना में अपनी सेवा देते हैं। जो अपने आप में गर्व की बात है।
ग़रीबी से लड़ने के लिए गांव को सकारात्मक सोच और गरीब परिवार की लड़की की शादी में सम्पूर्ण गांव को सहयोग के लिए आगे लाना। गांव में भाईचारा कायम करने में भी घी का काम कर गया । और इस बार भी गांव के दस के दस पंच सर्व सम्मति से बनाकर सामजंस्य और भाईचारे की नई मिसाल पेश की। अब गांव में लगभग हर तरह से खुशहाली का दौर शुरू हो चुका है।
गांव के वातावरण को स्वस्थ करने के लिए महावीर बिरोली ने अलग तरह की मुहिम चलाई। जब भी गांव में शहिदों को याद किया जाता है। हर मौजूद व्यक्ति उनकी याद में एक पेड़ लगाता है। जिससे बच्चे और बुजुर्ग सब बड़ी खुशी से प्रेरित होकर उनका साथ देतें है। और शहिदों का मान सम्मान देख गांव के नव युवाओं को प्रेरणा मिलती है।
शिक्षा का सुधार करने के लिए गांव के ही राम निवास दूहन और पढ़ें लिखे साथियों से सहायता लेकर बच्चों को शाम को अतिरिक्त कक्षा प्रदान की जाती है।
जींद जिला खून दान में भारत ही नहीं एशिया में भी अपनी पहचान बना चुका है। कईयों बार गांव में अलग-अलग मौके पर रक्त दान शिविर का आयोजन करवाकर हमारे मेडिकल सुविधाओं को तंदुरुस्त करने का काम गांव महावीर की अगुवाई में करता रहा है। गांव में महिला शक्ति और बच्चों में अच्छे गुणों का प्रसार करने के लिए योग और हमारी पुरानी संस्कृति को याद रखने के लिए नवनीत सैणी की साहयता से समय-समय पर योग शिविर का आयोजन और फोन में घुसे युवाओं को इक्ठा स कर जागरूकता फैलाने का काम करते रहते हैं। आलम यह है कि अब गांव का हर व्यक्ति पेड़ लगा चुका है और खून दान कर चुका है।
स्वभाव के बहुत ही सरल और सहज महावीर बिरोली जैसे इंसान को सिर्फ बिरोली जींद में ही नहीं बल्कि हर गांव शहर कस्बों में होना चाहिए। मैं मानता हूं दोस्तो शुरू करके देखना साथ देने वाले आपके इंतजार कर रहे होते हैं। आपकी शुरुआत इतना बड़ा बदलाव लेकर आयेगी। आप खुद स्तब्ध रह जायेंगे। महावीर की इस पहल ने गांव को नया चेहरा ही नहीं बल्कि सोचने के लिए नया दिमाग और पहचान के नए आयाम दिए हैं।